इस महाविद्यालय की स्थापना पंचायतराज विभाग, उ0प्र0 शासन द्वारा 6 एकड़ भूमि पर 28 अप्रैल, 1984 को की गई थी। 01 जुलाई, 1991 को शासन द्वारा इस महाविद्यालय का प्रान्तीसयकरण कर दिया गया। विशेष उल्लेखनीय है कि प्रान्तीयकरण के समय महाविद्यालय हेतु यह भूमि तत्कालीन जिला परिषद अध्यक्ष माननीय प्रोफेसर रामगोपाल यादव जी द्वारा निःशुल्क प्रदान की गयी थी। यह महाविद्यालय एस0डी0 फील्ड पर रेलवे स्टेशन से 500 मी0, बस स्टेशन से लगभग 1 किमी0 एवं मुख्य डाकघर एवं भारतीय स्टेट बैंक मेन ब्रान्च के दक्षिण में स्थित है। प्रान्तीयकरण के बाद से उ0प्र0 शासन द्वारा इस महाविद्यालय के विकास की प्रक्रिया निरन्तर रूप से जारी है। छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में यह महाविद्यालय सतत् प्रयासरत है।
महाविद्यालय का प्रमुख उद्देश्य छात्राओं को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बहुमुखी विकास की ओर अग्रसर करना है। इसी के साथ उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो सके, ऐसे स्वस्थ एवं स्वच्छ वातावरण का निर्माण करना है, उन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु समय-समय पर खेलकूद, वाद-विवाद, कहानी कविता लेखन आदि प्रतियोगिताओं के अतिरिक्त अन्य पाठ्येतर कार्यक्रमों की भी व्यवस्था की जाती है। महाविद्यालय में ग्रामीण क्षेत्र की पिछड़ी जाति की 50 छात्राओं के रहने के लिए छात्रावास इस सत्र से उपलब्ध हो जायेगा। छात्रावास की उपलब्धता के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में दूरदराज की छात्राओं को अब उच्च शिक्षा से वंचित नहीं होना पड़ेगा। महाविद्यालय में सत्र 2014-15 से परास्नातक स्तर पर हिन्दी, समाजशास्त्र एवं अर्थशास्त्र विषय तथा स्नातक स्तर पर वाणिज्य संकाय में बी0कॉम0 की कक्षायें संचालित हो रही है।
राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, इटावा जनपद का एक मात्र राजकीय महाविद्यालय है, जिसमें इटावा शहर के अतिरिक्त आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से अध्ययन हेतु छात्राएं आती हैं। यह महाविद्यालय उत्कृष्ट अध्ययन एवं अनुशासन के लिए जनपद में अपनी एक अलग पहचान रखता है। इस महाविद्यालय में छात्राओं से न्यूनतम शुल्क लिया जाता है।